अफसाना

किस इकरार का इंतज़ार कर रहे हो नवाज,

उन्होंने लब्जों को अपने शबनमी लबों में दबाये रखा है।

बात कहाँसे होगी उनसे हमारी, बातोंको तो भी उन्होंने

औरोंकी हर एक बात पर उलझाये रखा है।।

हम से मोहोब्बत उनकी सरे आम हो न जाये शायद,

उन्होंने आंखों को पलकोंकी चिलमन में छुपाये रखा है।

एहसास जताए कोई उन्हें भी हमारी बेसब्री का,

हमने उनकी हर एक अदा पर अफसाना बनाये रखा है।।

3 thoughts on “अफसाना

Leave a comment