बादलों के उस पार अपना एक जहाँ बनाने
उड चले हम एक आशियाना बनाने
तुफानों से लडने लहरों पर उछलने,
चल दिये हम अपने मुकद्दर से मिलने
साहिल को छोड मौजों से रिशता बनाने
उड चले हम एक आशियाना बनाने
रोका हमे इस दरने, इन दीवारों ने,
उलझाया किसीकी सहमी निगाहोंने,
माना ना ये दिल और ना चले बहाने
उड चले हम एक आशियाना बनाने
अनजानी हैं राहें सभी,अजनबी मंजर हैं
खुदा जब हाकिम है मेरा, ना किसी आँधी का डर
आवारगी को अपनी दासताँ बनाने
उड चले हम एक आशियाना बनाने